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          Hindi Poem On Youth, Yuva Shakti 

                    युवा शक्ति - जवानी की कहानी 

जीवन और जवानी के संघर्ष और हौसलों की कहानी को इस कविता में उजागर किया गया है। 'जीवन की कविता' और 'जवानी पर रचना' जैसे विषयों पर प्रकाशित, यह रचना हमें विचारशील और प्रेरित करती है, जिससे हम अपनी जवानी के दिनों और उसके चुनौतियों का सही मूल्यांकन कर सकें।



Hindi Poem On Youth, Yuva Shakti-जवानी की कोई कहानी हो भोग, प्रमाद , विलास में नहीं  संघर्ष की दरिया में  हौसलों की कहानी हो




जीवन की एक जवानी हो 

जवानी की कोई कहानी हो

भोग, प्रमाद , विलास में नहीं ,

संघर्ष की दरिया में 

हौसलों की कहानी हो  

जवानी की कोई कहानी तो हो........ 

मनुष्य में पुरुषार्थ की एक अग्नि जलती हो 

सूरज तो संसार को राह दिखाता है पर

 तुम्हारी अग्नि से किसी के घर का दीपक जलता हो ,

 किसी के पेट की अग्नि बुझाने को  कभी अपना हाथ जला देना 

उस घाव को बिना मरहम लगाए ही कभी छोड़ देना 

जब मेहनत में निकले पसीने की एक बूंद उसमें जा गिरेगी ,

तुम्हारे अंतरात्मा को मिला संतोष घाव की हर पीड़ा को हर लेगी ,

 आनंद-प्रमाद के नाम पर कभी होश गवाँ मत बैठना


 हां! रो  लेना और टूट कर बिखर जाना, पर खुदा की चौखट पर,

 मैंने देखा है, टूटे हुए ईट के टुकड़ों से लोग अक्सर अपने घर की चौखट बना लेते हैं 

लेकिन खुदा की चौखट पर मुरझायें हुए फूल भी बड़े सम्मान से उठाये जाते हैं........ 


कर गुजरना कुछ ऐसा इस जवानी में 

कि जब भविष्य में इतिहास पढ़ा जाए 

तब तुम्हारा नाम उस नाविक के तौर पर लिया जाए

 जिसने  संघर्ष के दरिया को हौसलों की नाव पर बैठ कर पार किया 

भगत सिंह, उद्धम सिंह जैसे शेरों की कहानी कई दशक पुरानी है ,

इन शेरों के बच्चों ,  इतिहास के पन्नों में अपनी नई कहानी गढ़ो ,

ये संसार महापुरुषों की स्मारक बनाता है 

तुम उस व्यक्ति के व्यक्तित्व और चरित्र को अपने में ढालो 

 हाथ से हाथ मिला कर चलना पर 

पाश्चात्य का हाथ तुम खुद पकड़ना ,

पाश्चात्य क्या कहती है ये एक बार सुनना ,

अपनी जड़ों को दो बार खंगालना और चार बार सोच कर अगला कदम बढ़ाना।।


यह संघर्ष की दरिया, हौसलों की नाव और ये स्मारक जैसा व्यक्तित्व आज कल कौन देखता है, यह सोचकर कभी बैठ मत जाना क्योंकि हर युग में सत्य का रूप  चाहे अलग हो पर सत्य ही सही होता है और यही सत्य है

 और ये जो हमारे बड़े बुजुर्ग कहते हैं ना "आज की पीढ़ी रचना कम आलोचना ज्यादा करती है " उन्हें दिखाना है रच कर कहानी हमारी जवानी की,


और  सुनानी है कहानियां , जीवन की सांझ में 

आने वाली पीढ़ी को,  जीवन की दोपहर की ,

'जवानी की तपिश की'


इस कविता को पूरा पढ़ने के लिए आप का धन्यवाद।  अगर आप इसी तरह की और कविता पढ़ना चाहते है तो मुझे  instagram में follow करें - @lokanksha_sharma 






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