रूप उसका अनोखा
कभी सूरज सा तेज
कभी चाँद सी शीतलता
कभी नदी सी हलचल
कभी समुद्र सी गहराई
कभी पर्वत सी मजबूत जैसे माँ अन्नपूर्णा हो
कभी हरा भरा पेड़ जैसे माँ कल्याणी
कभी दिन सी रोशन जैसे माँ महागौरी
कभी रात सी काली जैसे माँ महाकाली
कभी ऐसी , जैसे घर की लक्ष्मी हो
कभी ऐसी ,जैसे समाज की संस्थापक
कभी ऐसी , जैसे ममता की मूरत
कभी ऐसी , जैसे हो वो सर्वज्ञ
कभी इतनी भोली जैसे वो गाय हो
कभी इतनी चतुर जैसे वो चील हो
कभी इतनी धीरे जैसे वो अकेली
कभी इतनी तेज़ जैसे हो जंगल की शेरनी
कभी प्रकृति तो कभी देवी का रूप है लिया
हे प्रभु! अब तू बता ऐसा कौन सा रूप है
जो तूने माँ को नहीं दिया | |
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