गुरु की महिमा: जीवन के मार्गदर्शक के रूप में प्राचीनतम संस्कृति
"गुरु बिन ज्ञान न ऊपजे , गुरु बिन भगति न होये।
गुरु बिन संशय ना मिटै , गुरु मुक्ति न होये।।"
संसार छुड़ा दे वो गुरु नहीं हैं , संसार का सार समझा दे वो गुरु हैं। गुरु के बिना ना तो ज्ञान संभव हैं और ना ही मुक्ति। गुरु के बिना जीवन वृथा हैं। शास्त्रों ने भी गुरु की महिमा का गान किया हैं , गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना गया हैं। अखण्ड सत्य है की गुरु ही हमारा पथ प्रदर्शन करते हैं। इसलिए उनकी महिमा का जितना गुण गान किया जाए उतना कम हैं। योगिक संस्कृति में हम शिव को ईश्वर के तौर पर नहीं देखते। हमारे लिए शिव आदि गुरु यानी पहले गुरु हैं। तो आइये पढ़ते हैं ऐसी ही एक कविता गुरु महिमा पर।
सिर्फ एक तुम हो
एक मैं हूँ जिसने कभी शुक्रिया नहीं किया
और एक तुम हो जो रहमत किये जा रहे हो
एक मैं हूँ जिसने हर पल नासमझी की
और एक तुम हो जो मुझे माफ़ किये जा रहे हो
एक मैं हूँ जिसने हर पल सिर्फ और सिर्फ माँगा हैं
और एक तुम हो जो बिन माँगे दिये जा रहे हो
एक मैं हूँ शिकायतें लगाता रहा
और एक तुम हो बेवज़ह की शिकायतें सुनते जा रहे हो
एक मैं हूँ तुम्हे तकलीफों में याद करता
और एक तुम हो हर पल मेरा साथ दिए जा रहे हो
एक मैं हूँ मनुष्य के रूप में गिरगिट जैसा
हर पल रंग बदलता जा रहा हूँ
और एक तुम हो जंगल में शेर की हुंकार जैसे
जो मेरे जीवन से अंधकार रूपी जानवरो को हटाये जा रहे हो |
जीवन का स्तंभ - गुरु
अब तुम पर मैं क्या लिखूँ
लिखूँ फिर भी क्या लिखूँ
राम सी मर्यादा लिखूँ
या कृष्ण सा धर्म सस्थांपक लिखूँ
लिख कर भी क्या लिखूँ
सागर सा अथाह लिखूँ या
हरी सा अनंत लिखूँ
लिखूँ फिर भी क्या लिखूँ
तेरे कानून का बखान लिखूँ
या भक्ति की शक्ति लिखूँ
कैसे मैं तुझ पर लिखूँ
नारायण का चक्र लिखूँ
या शिव का तांडव लिखूँ
लिखूं फिर भी क्या लिखूं
रामायण की चौपाई लिखूँ या
गीता का श्लोक लिखूँ
तुलसी की माला लिखूँ या
एक मुखी रुद्राक्ष लिखूँ
लिखूं फिर भी क्या लिखूं।।
सत्य का कैलाश: गुरु के पावन चरणों की प्रीती और आश्रय"
मुझे इन्द्र और अमरावती नहींमुझे शिव और कैलाश चाहिए | |मुझे इंद्र सा भोगी नहीं ,शिव सा योगी चाहिए
मुझे इंद्र का अमृत नहींशिव का हलाहल चाहिए | |मुझे कल्पवृक्ष चिंतामणि और कामधेनु नहींमुझे बैल बाघ सर्प मूषक मोर चाहिए | |मुझे भोग का राज्य नहींसत्य प्रेम करुणा का कैलाश चाहिए | |मुझे देवताओं के दर्शन नहींमुझे गुरु के चरणों की प्रीती चाहिए | |
इस कविता को पूरा पढ़ने के लिए आप का धन्यवाद। अगर आप इसी तरह की और कविता पढ़ना चाहते है तो मुझे instagram में follow करें - @lokanksha_sharma
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