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 राष्ट्रीय युवा दिवस 2023

12 जनवरी को विवेकानंद जी के जन्म दिवस के अवसर पर हर साल युवा दिवस मनाया जाता है। 12 जनवरी 1863 में कलकत्ता में जन्मे  नरेंद्र नाथ दत्त, अपनी निष्ठा, पराक्रम और विश्वास के दम पर वो विवेकानंद बन गये। इस साल विवेकानंद जी की 160वीं जयंती मनायी जाएगी।

     । भारत सरकार द्वारा 1984 में युवा दिवस, विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर मनाने का ऐलान किया गया था। जीवन के प्रति उनके विचार और नज़रिया उन्हें दुनिया से अलग करता है और युवाओं के लिए प्रेरणा बनता है



National Youth Day 2023 - स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर जाने ऐसी 5 गलती जो आज की  युवा पीढ़ी कर रही है


  इस युवा दिवस हम जानेगें ऐसी 5 गलतियों के बारे में जो आज के युवा जाने अनजाने कर रहे है। 


National Youth Day 2023 - स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर जाने ऐसी 5 गलती जो आज की  युवा पीढ़ी कर रही है




 1. आलोचना :- आज के समय में सबसे बड़ी परेशानी है कि हम जिस चीज को सामने देखते हैं, सुनते हैं उसके बारे में सोचे बगैर उस बात को सच मान लेते हैं। और यही बिना सोचे-समझे, किसी के प्रति मनुष्य के विचार आलोचनाओं को जऩम देते है । हम व्यक्ति या बातों को समझे बगैर, उनपर टिप्पणी  करने लगते है। इस बात को समझने के लिए अगर एक उदाहण ले तो, कुछ वक्त पहले की बात है व्हाट्सएप पर एक मिम आई थी जिसमें लिखा था पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी ने फलाफला काम गलत किया, उन्होंने ऐसा नहीं किया होता तो शायद परिसथति कुछ और होती।  अब ये बात सुनते या पढते ही हम हो जाते है आलोचनाओं के शिकार।
 यही वो समय होता है जब आप को तर्कहीन बातों का खंडन कर जीवन के सही-गलत पहलूओं को तर्क के मरकूरी में नाप कर फैसला लेना होता । अगर नेहरू जी वाले  उदाहरण पर गौर करे तो हमें अपना नज़रियाँ बदलना होगा।  "उन्होंने जो किया सो किया, वह हमें सिखा रहे हैं कि अब ऐसा मत करना और वैसे भी उनकी एक गलती पर व्हाट्सएप में धरना देने के बदले उन की तारीफ़ करो कि उस व्यक्ति ने भारत के विकास की जिम्मेदारी तब ली जब भारत आजाद हुआ था। आज़ादी के बाद जन्मदर-मृत्युदर बढ़ी हुई थी, भारत कुपोषण का शिकार था और कुपोषित भारत  पर बंटवारे का संताप था, देश में भुखमरी का माहौल था उस परिस्थिति में भी नेहरू जी ने भारत को ITI का सपना दिखाया और सिर्फ दिखाया ही नहीं पूरा भी किया। वो ITI जो हर साल देश के युवाओं को प्रगति का मार्ग बता रही है"।
    
            हम नेहरू, गाँधी और ना जाने ऐसे कितनों के बारे में गलत अवधारणा बना कर उन्हें गलत कह देते है। गाँधी जी की आलोचना करने वालों से मैं पूछना चाहूंगी , सुनी- सुनायी बातों के अलावा क्या कभी गाँधी को पढ़ा है आपने ? गाँधी जी पर लिखी एक भी किताब उठाई है आप ने कभी ?

         बात इतनी सी है कि हम क्या चाहते हैं? सामने वाला सत्य पुरुषों हो, चरित्रवान हो, बिल्कुल हर प्रकार से सम्पर्ण हो पर कोई भी जन्म से नेता नहीं होता या अपने क्षेत्र में अच्छा होने के लिए गलतियां भी करनी पड़ती है।हमें चाहिए कि हम व्यक्ति को उसकी गलती बुराई के साथ अपनाएं। हमारे आसपास घटनाएं घटती है उसका हम पर क्या प्रभाव पड़ेगा और हमारी क्या प्रतिक्रिया होगी ये सब पूरी तरीके से हमारे नज़रिये पर निर्भर करता है।
 अगर सोचे तो बात बहुत छोटी है पर भविष्य के लिए समझने वाली है क्योकि अगर हमने अपना नज़रियाँ नहीं बदला तो हम क्या सोचते है ये कोई और तय करेगा। 

     हम वो हैं, जो हमें हमारी सोच ने बनाया है इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.


2.  आज और कल में सामंजस्य :-  युवा पीढ़ी को यह बात अच्छी तरह समझनी होगी उसका जीवन सिर्फ आज और आने वाले कल से नहीं जुड़ा, उसका जीवन जुड़ा है उस जड़ से जहां से इनका सृजन हुआ। विज्ञान के साथ आगे बढ़ने की जरूरत इन्हें कभी भी अपनी परंपराओं और संस्कृति को छोड़ने में मजबूर नहीं करती। इस बात में कोई दोहरायी  नहीं कि आज के समय के अनुसार रहन-सहन में आये बदलाव काफी आम  है,  इसका मतलब यह नहीं कि आपको यह अधिकार है कि आप पुरानी परंपराओं को रूढ़िवादी कहकर उस वर्ग के साथ मतभेद करें जिसने  विरासत के रूप में आपको संस्कार, संस्कृति, और परंपरा ही नहीं वो भी दिया हो जो आप और हम शायद अपनी आने वाली पीढ़ी को ना दे पाए, 'एक स्वच्छ वातावरण जिसमें वो साँस ले पायें, एक हस्ती हुई नदी, एक मुस्कुराता हुआ जंगल और सर के ऊपर एक आसमानी छत। 



National Youth Day 2023 - स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर जाने ऐसी 5 गलती जो आज की  युवा पीढ़ी कर रही है


3. Instagram और हमारा दिमाग :-  जहां हवाओं में oxygen, carbondioxide और nitrogen पाया जाता है, वहां एक और गैस ने अपनी जगह बना ली है जिसका नाम है social media . एक रिसर्च में पता चला है कि पूरी दुनिया में instagram के users 2 billion से भी ज्यादा है , और अकेले भारत में 230 million लोग instagram को यूज़ करते है। इसपर हर घंटे हज़ारो reels upload होती है। आपने कभी सोचा है आप के दिमाग पर  इन reels का क्या असर होगा। आपने ध्यान दिया होगा जब हम reels स्क्रोल करते हैं, कितनी तेजी से निकला समय हमारे ख्याल में नहीं रहता . 

            और इसका हमारे दिमाग पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। जोसेफ मर्फी अपनी किताब The Power of Your Subconcious Mind में बताते हैं कि किस तरह हमारा दिमाग असली और काल्पनिक  चीज़ो में फर्क नहीं कर पाता। अगर मनोरंजन के नाम पर  वो useless reels  देखते हैं तो हमारा मस्तिष्क उसे  सही मान लेता है , जिससे दिमाग की नसों में दबाव पड़ता है और मन में उद्वेग बढ़ता है।  एक reel  की टाइमिंग 20 सेकंड है, मतलब 1 मिनट में आप 3 reels देखते है और 15 मिनट में आप 45 - 48 reels देख चुके होते हैं। अब ये सोचिये 45 में से कितनी तो आप के कोई काम की ही नहीं पर फिर भी आप के दिमाग पर गहरा असर छोड़ रही है 


National Youth Day 2023 - स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर जाने ऐसी 5 गलती जो आज की  युवा पीढ़ी कर रही है


4. तर्क और भावनाएं :-  हम अक्सर देखते हैं कई लोगों की भावनाएं उन पर हावी होने लगती हैं, जिसकी वजह से जीवन में लिए कई फैसलों पर उन्हें बाद में पछताना पड़ता है। और कभी-कभी हम आधुनिक शिक्षा में कितने अधीन हो जाते हैं जिसकी वजह से अपने नैतिक मूल्यों और अमूल्य रिश्तों को भी तर्क के मापदंड में तौलने लगते है।  अरस्तु का कथन है " युवा आसानी से धोखा खा जाता है क्योकि वो ज्यादा आशावादी होता है " और यही आशावादी स्वाभाव के कारण मनुष्य के दिमाग में आने वाले उसके खुद के विचार और दूसरों के विचार उस पर  हावी होने लगते है जिससे व्यक्ति का अपने प्रति विश्वास और मनोबल कमज़ोर होने लगता है , और यही आत्मविश्वास की कमी जीवन में depression, stress और anxity जैसी बीमारियों को जन्म देती है।  


5. ज्ञान और शिक्षा में अंतर :- ज्ञान और शिक्षा के बीच एक बारीक़ रेखा है, और उस रेखा का नाम है 'अध्ययन'। चार किताबें पढ़ने के बाद आप अगर बोलते है तो समझिए ये आप नहीं उस किताबों के लेखक बोल रहे है और अगर चार नयी जगहों में घूमने के बाद आप बोल रहे है तब आप का ज्ञान बोल रहा है। विद्या 4 चीज़े चाहती है अध्ययन, अध्यापन, अभ्यास और व्यवहार। और जब ये चारों  व्यक्ति के जीवन में उतरते है तब आता है ज्ञान।

     आज डिग्रीयों को सबूत दिखा कर अपनी शिक्षा का ढिंढोरा पीटने वाले इस समाज ही बताता है कि इस साल कितने लोगो ने समाज में आत्महत्या की। 

इन पांचो गलतियों के आलावा अगर आप को कोई और गलती के बारे में पता है तो इसका कारण आप का ज्ञान है। 

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