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चार दीवारी की रसोई: एक नारी का संघर्ष और स्वाभिमान

 मसालों का डिब्बा 

भारतीय संस्कृति में, रसोई का कोना हमें कई कहानियाँ सुनाता है। उस छोटे से स्थल पर, नारी अपनी पूरी ज़िंदगी बिता देती है, अपने परिवार की खुशी के लिए अनगिनत बलिदान देती रहती है। "चार दीवारी की रसोई" एक ऐसी कविता है जो हमें एक नारी के संघर्ष और उसके जीवन के अन्य पहलुओं की ओर इशारा करती है।






चार दीवारी की रसोई  

जिसमे जलता हुआ चूल्हा
और एक तपती हुई नारी 
जो बाहर बैठे हर किसी की 
फरमाइश को पूरा कर रही हो 
ये शर्मा जी की पत्नी, गुप्ता जी की बहु 
या खान साहब की बेगम भी हो सकती है .....

 

ठीक भी है.... अच्छा है ....... 
यहाँ तक कोई समस्या नहीं है। 
क्यूकि स्वस्थ जीवन के लिए भोजन मूल आधार है। 

तो फिर समस्या क्या है ????

समस्या ये है की उस जलते हुए चूल्हे 
 और डिब्बों में रखे मसालों को 
वो नारी अपनी दुनिया समझ बैठी है ......

समस्या ये है की वो अपने आप को भी 
उस रसोई का अंग समझ रही है 
उस अंग के लिए अपने देह को भूलती जा रही है 


यहाँ कहने का अर्थ ये कदापि नहीं है की महिलाएं 
रसोई में काम ना करे  ...... 
या अपनी जिम्मेदारियां छोड़ दे
बिलकुल भी नहीं 
पर अपनी इस दुनिया में आप उस दुनिया को 
मत भूलिए जिसका वास्तव में आस्तित्व है 


मसालों के डिब्बों में यूँ मत खो जाइये 
की आप को अपने आँखों के नीचे 
आयी झुर्रियां को नज़रअंदाज़ करना पड़े 
मत भूल जाइये उन हाथों को 
जिसने कई घुटनो का दर्द ठीक किया हो 

अब वक्त का बहाना ना बनाओ मोहतरमा 
क्योकि वक्त निकालना पड़ता है 

आधा घंटा कम सो कर मॉर्निंग वॉक 
पर ही निकल जाया करो 
देखो कभी-कभी बालो में  प्याज़ 
का रस ही लगा लिया करो.......  

आलू काटते-काटते एक अच्छा सा मेकअप 
विडिओ तो देख ही सकती हैं आप 
आटा गूंथते वक्त एक अपनी पसंद का
गाना ही सुन लिजिये  ...... 

कुकर में सिटी आ रही है तब तक इन 
जटाओं को ही उलझा कर आओ 
और हाँ, हो सके तो नेल पेंट भी लगाती आना 
झाडू लगाते -लगाते ऑडियो में 
न्यूज़ भी सुना करो 

क्योकि अब बच्चों को नास्ता कराते 
वक्त करंट अफेयर्स तुम बताओगी 
रसोई की सफाई करते -करते 
एक अखरोट तुम चबा लिया करो 
क्या है जो सुबह से भागम भाग करती हो 
उसमे ये फायदा करेगा 


और हां,
कभी कभी बेटे का मोबाइल भी 
टटोल  लिया करो 
वो किस संगति में है जानने के लिए 
अचानक उसके दोस्तों से भी मिला करो ...... 

पति के आते ही उनसे खाने का डिब्बा लेते वक्त 
सोने चांदी के दाम भी पूछ लिया करो 
इन्वेस्ट चाहे मत करो पर 
शेयर मार्केट के उतर चढ़ाओ भी जान लिया करो 
पूजा करते वक्त पति की तरक्की और 
बेटे के करियर के अलावा भगवान से 
कुछ और भी मांग लिया करो 

भारत की ऊंचाई और पाकिस्तान 
के लिए सद्बुद्धि ही मांग लिया करो .... 
रात में ये सारी बातें मम्मीजी 
के पैर दबाते - दबाते उन्हें बताया करो 
और हां 
सोने से पहले, आँखों में आयी झुर्रियों 
के लिए बादाम का तेल भी लगा लिया करो...... 


                    

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