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  "अयोध्या नगरी की समृद्धि और राजा दशरथ की आकांक्षा"

भक्ति का बल और श्रीराम का जन्म

अब तक के लेखन कार्य अच्छा-बुरा बहुत कुछ लिख चुकी हूँ , पर एक बात जो हमेशा मन में आयी जिसने कविता रचने के गुण दिए  उसपर आज तक क्या ही लिखा ? आज इस कविता में मैं उस दिव्यता और आदान-प्रदान को समझाने की कोशिश कर रही हूँ, जिसने मुझे शब्दों की दुनिया में प्रवेश कराया। उस अद्भुत शक्ति को समर्पित, यह मेरी विनम्र रचना। 

 

 


श्रीराम और उनके परिवार की महिमा: एक अद्वितीय कविता



           "सूर्यवंशी राम: नन्हे बालक की अद्वितीय लीलाएँ"



मनु शतरूपा ने दूसरा जन्म हरि भजन से पाया था 

श्री हरि को संतान रूप में पाने का वर मांगा था ||

धन धान्य समृद्धि से भरपूर अयोध्या नगरी थी 

कुलदीपक बस आ जाये ये सोच के नगरी रोती थी  ||

पांच इंद्रियों को वश में करें महल में बंदी बनाकर रखते थे 

झाड़ू करने जिनके यहां इंद्र की अप्सरा आती थी 

ऐसे राजा दशरथ और कौशल्या महारानी थी  ||

सुमित्रा और  कैकई  राजा को सबसे ज्यादा प्यारी थी

कुलदीपक आ जाए यह आस मन में पाली थी 

लेकिन समय में भी इनकी कठिन परीक्षा ली थी ||


जहां करुणा और प्रेम हो वही तो भक्ति पकती है 

भक्ति और प्रेम मिलकर भगवान को अपनी ओर खींचती है ||

श्री गुरु को प्रसन्न कर प्रथम परीक्षा सफल हुई

भक्ति के साथ यज्ञ किया सफलता दूसरी परीक्षा में पाई

समय के साथ धैर्य रखा अंतिम चरण भी सफल हुआ ||


बरसो इंतजार के बाद वह चैत की नवमी आई थी 

राम के जन्म की वह अमृत बेला आई थी 

चार लाल हुए दशरथ के, नगरी में खुशियां छाई थी  

 महल का सीना धड़क उठा, ऐसी प्रेम की बरखा आई थी ||

जिसके रहते सब आनंद हो उसका नाम राम रखा  

जो सबका भरण पोषण करें, भरत उसका नाम रखा 

जिसे देख शत्रु का नाश हो शत्रुघ्न सबसे छोटे भैया थे

जो हर क्षण हरि सेवा  करें हमारे ऐसे लक्ष्मण भैया थे  | |


छम छम छम पैजनिया बाजे

आंगनिया में डोले रे ||

देख कौशल्या तेरा लाला मन मेरा कैसे मोहे रे

ठुमक ठुमक चाले आंगन में करें कैसी चतुराई रे

छड़ी हाथ में ले कैकई पूरे महल में दौड़े रे ||


लीला दिखा वे भारी भारी 

यह नन्हे नन्हे बालक रहे 

सुमित्रा दशरथ को देखो यह फूले नहीं समावे रे ||

सांवली सुरतिया प्यारी पूर्णिमा रो चांद भी न्योछावर रे 

सूर्यवंशी ऐसो लाल दशरथ के जिनमें दुनिया वारी जावे रे  ||




          


इस कविता को पूरा पढ़ने के लिए आप का धन्यवाद।  अगर आप इसी तरह की और कविता पढ़ना चाहते है तो मुझे  instagram में follow करें - @lokanksha_sharma 

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