परिवार
कृष्णा सा भाई हो
कौशल्या माई हो
रघुवर मेरे सर पर तेरी परछाई हो ...
दशरथ सा राजा हो
रघुकुल सा घराना हो
रघुवर तेरे चरणों में मेरी प्रीती हो ....
वेदों की शिक्षा हो
सनातन धर्म हो
रघुवर तेरी कथा मेरे रगो में बहती हो ....
सत्य प्रेम करुणा मेरे मित्र हो
झूठ काम क्रोध मेरे दुश्मन हो
रघुवर मेरे सर पर तेरी परछाई हो ....
चंचलता , मर्यादा मेरी सहेलियां हो
विवेक, ज्ञान मेरे बड़े भैया हो
रघुवर तेरे चरणों में मेरी प्रीती हो....
Beutiful poem arranged in a rhyme 😀
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