गूगल
क्या आप जानते हैं गूगल क्या हैं ? एक सर्च इंजन , है ना। लेकिन ये सिर्फ एक सर्च इंजन नहीं रहा , बल्कि हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चूका हैं। JUST LIKE A FAMILY MEMBER. ये परिवार का वो हिस्सा बन चूका है जिसने हमे हमारी फैमिली से ही अगल कर दिया हैं। घूमने जाना हो तो OK GOOGLE! PARK NEAR ME. भूख लगी हो तो OK GOOGLE! RESTAURANT NEAR ME. भजन भी अगर सुनना हो तो हम गूगल से पूछते हैं। पास में बैठी माँ के पास नहीं जाते। माँ से याद आया गूगल भी तो बिलकुल माँ की तरह ही तो हो गयी है। मौसम से लेकर टेम्परेचर तक सारे सवाल का जवाब हैं उसके पास। तो आईए पढ़ते हैं आज की कविता 'गूगल आज हर घर की माँ हो गयी हैं ' |
आज गूगल हर घर की माँ हो गयी है
माँ घर को मंदिर बनाती है
और इस मंदिर में होने वाली पूजा की सामग्री से लेकर संध्या पूजा
की आरती तक आज सब कुछ गूगल बताती है।
ठण्ड में माँ लड्डू बनती थी
माँ के हाथ के लड्डू से लेकर स्वेटर बुनने की टेक्निक तक
आज सब कुछ गूगल सिखाती है...
कितनी अजीब बात है ना, माँ दो किलो मीटर
चल कर शुद्ध पानी लाती थी
और RO से शुद्ध कोई पानी नहीं
ये आज गूगल बताती है।
माँ गर्मियों में पापड़ खीचिया बनाती थी
आज माँ के हाथों का पापड़ कहाँ मिलेगा
ये भी गूगल बताती है ....
पहले हर समस्या का समाधान
रसोई में खड़ी माँ होती थी....
और आज ना तो रसोई है और ना ही माँ
क्युकी रसोई किचन बन चूका है
और माँ की जगह गूगल ने ले ली।
और अब तो गूगल की चचेरी बहन[Alexa] भी गयी है
हर सवाल का जवाब माँ की आवाज़ में देने लगी है। ...
जन्मदिन पर माँ की तरह सबसे पहले गाना गायगी
आपने की वो गलतियाँ तो बताओ
हर गलती की अलग अलग पनिश्मेंट भी बताएगी।
और क्या नहीं आता है इसे
रात में लोरी से लेकर नींद आने पर
लाइट्स भी बंद कर देगी
वाह ! ये तो बिलकुल माँ की तरह है
लेकिन ये सिक्के का एक ही कोना है....
दूसरे का क्या....
लोरी सुनते वक्त सर को सहलाता
वो हाथ कहाँ से लाओगे .......
लाइट्स ऑफ होने के बाद पैरों पर रखी चादर ओढ़ाने
तुम किसको बुलाओगे ...
पनिश्मेंट के बाद रोने के लिए
वो सूती साड़ी की गोदी कहाँ से लाओगे।
इसलिए गूगल को सर्च इंजन की तरह ही रहने दो
और माँ को माँ की तरह मतलब भगवान की तरह।
क्योकि किसी ने सच ही कहा हैं भगवान हर जगह नहीं होते इसलिए उन्होंने माँ को बनाया हैं ना की गूगल को 😃😃
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